बेहतर सुरक्षा के लिए ना जाने कितनी निर्भया की कुर्बानी देनी पड़ेगी?

आज से मुनिरका में 12 साल पहले एक घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया था। साल पर साल बीतते गए लेकिन मुनिरका की तस्वीर आज भी वही है। दिल्ली के मुनिरका में 12 साल पहले निर्भय कांड को अंजाम दिया गया। एक चलती बस में 6 युवकों ने एक युवती का बलात्कार किया और उसे बस से कुचलने की कोशिश की थी। हालाँकि, सात वर्षों में और कई महिला सुरक्षा अभियानों के बाद भी, बस स्टॉप और उसके आसपास के क्षेत्र में बहुत कुछ नहीं बदला है, जहाँ हर दिन सूर्यास्त के बाद अंधेरा छा जाता है।

आज भी उस जगह रात में 11 बजे के बाद खड़ा होना सुरक्षित नहीं माना जाता। आएं दिन छपटमारी और लूटपाट जैसी घटना आम सी हो गई है। जो महिलाएं नियमित रूप से क्षेत्र से आती-जाती हैं, उनका कहना है कि रात 9 बजे के बाद बस स्टॉप एक अनधिकृत पार्किंग स्थल में बदल जाता है और उन्हें लगभग पुरुषों की आपत्तिजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है।

आर.के. पुरम के पास रविदास कैंप का इलाका जहां निर्भया कांड के तीन आरोपी रहते थे वहां भी अंधेरा- अंधेरा ही रहता है। यहां सुरक्षा चिंता का विषय है। ऑटो वाले अत्यधिक कीमत न वसूलने पर जाने के लिए सहमत नहीं होते हैं, रात 11 बजे के बाद बसें उपलब्ध नहीं होती हैं।

फांसी हुई, उसे न्याय मिला। लेकिन इन काले धब्बों को ठीक करने और उन्हें सुरक्षित बनाने तक हम कितनी निर्भयाओं का इंतजार कर रहे हैं?" एक पॉलिटेक्निक छात्रा ज्योति कुमारी से पूछा, जो रोजाना छतरपुर से मुनिरका तक यात्रा करती है।

दिल्ली में पिछले 5 साल से रह रहीं 32 साल की प्रियंका कहती हैं, 'मैं यहां काफी सालों से रह रही हूं, लेकिन आज भी रात में अकेले कहीं चली जाऊं, इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाई। मैंने ऑफिस में नाइट शिफ्ट लगाने से भी मना किया हुआ है।क्योंकि मुझे यहां रात में अकेले कहीं भी जाना सुरक्षित नहीं लगता।

लेकिन पहले से थोड़े से हालत बदले जरूर हैं!

जहां सार्वजनिक वाहनों का अभाव रहता था । वहां मेट्रो स्टेशन बन चुका है और लोगों को सवारी की सुविधा मिलती है। घटना के गवाहों में यह बस स्टैंड भी शामिल था। पेड़ की छांव में बने इस बस स्टैंड पर प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपनी अपनी मंजिल के लिए सफर पर निकलते हैं। वहीं, कुछ लोगों की मंजिल भी इसी बस स्टैंड पर खत्म होती है। बस स्टैंड के पास अब मुनीरका का मेट्रो स्टेशन भी बन चुका है जिसके बाहर ऑटो वालों का जमावड़ा भी लगा रहता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस समय वह दर्दनाक घटना हुई थी। उस समय यहां न मेट्रो स्टेशन था और न ही ऑटो वालों का जमावड़ा रहता था। वहीं, सार्वजनिक बसों की भी कमी थी। यही कारण था कि उस दिन निर्भया को मजबूरी में एक चार्टर्ड बस में सवार होना पड़ा था। जिसके बाद उन दरिंदों ने निर्भया के साथ घिनौनी करतूत की जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

दिल्ली सरकार दिल्ली की सुरक्षा को लेकर तत्पर है।महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार को जल्द सख्त कदम उठाने होंगे।

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