राजधानी दिल्ली का सफदरजंग अस्पताल देश के बड़े अस्पतालों में से एक हैं। इसीलिए देश के कोने कोने से लोग यहां अच्छे इलाज की उम्मीद लेकर आते है। अस्पताल में सामान्य वार्ड में 1700 OPD बेड है।अस्पताल दूर से लंबे चौड़े 10-12 मंजिला दिखते है पर असली सच्चाई अस्पताल के भीतर से पता लगती है। सफदरजंग अस्पताल में मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, लोग सुबह के पंजीकरण के लिए एक रात पहले ही लाइन में लग जाते, इससे पता लगता है की मरीजों की संख्या ज्यादा है पर अस्पताल उनकी समस्या सुलझा नहीं पा रहा, अस्पताल में देश के कोने-कोने से लोग यही सोच कर आते है कि उनकी बीमारियो का इलाज जल्द से जल्द हो जाएगा पर मरीजों को अपॉइंटमेंट के नाम पर महीनो तक इंतजार करना पड़ता है। इस अस्पताल की एक विशेष गंभीर समस्या स्टाफ का मरीजों के प्रति रवैया है, अस्पताल के गार्ड अक्सर सुर्खियों में रहते है फिर वो मरीजों से मारपीट या बदसुलूकी का मामला क्यों न हो ! एक समस्या यह भी है की ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने के बाद भी मरीजों को लंबी कतार में लगना पड़ता है जिससे उन्हें इलाज मिलने में देरी होती हैं।
रामवती (बदला हुआ नाम) वह बताती हैं कि कानपुर से वह अपने बेहतर इलाज के लिए 16 अक्टूबर को दिल्ली आई, ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेने के बाद भी रामवती (बदला हुआ नाम) को 5 दिन बाद की अप्वाइंटमेंट मिली। दिल्ली में कोई रिश्तेदार न होने और आर्थिक तंगी के कारण वह अस्पताल के बाहर रहने को मजबूर है और डॉक्टर की मिली तारीख का इंतज़ार कर रही है
हाल ही में दिल्ली में एक नवजात शिशु को लेकर परिजन एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे, लेकिन कहीं वेंटिलेटर नहीं मिला और बच्चे की मौत हो गई। जन्म से ही बच्चा कमजोर था, नवजात की तबीयत खराब होने पर पवन (नवजात के पिता) ने बताया कि सुबह 10 बजे वह सबसे पहले सफदरजंग अस्पताल में आए तो यहां नवजात को एडमिट ही नहीं किया गया।
बच्चे को अगर वेंटिलेटर मिल जाता तो वो ठीक हो जाता। सफदरजंग अस्पताल में जब उसे किसी ने नहीं देखा तो हम राम मनोहर लोहिया अस्पताल लेकर गए। लेकिन वहां पता चला कि वेंटिलेटर वाले बेड नहीं हैं। प्रमुख सवाल ये है की इतने बड़े अस्पताल मे एक भी वेंटीलेटर बेड खाली नहीं था?
अब देखना यह है की इस परेशानी का हल कब तक हो पाएगा।
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